भारत की एक शर्त जो नहीं बनने देती नेपाल में बांध और डूब जाता है बिहार

इन दिनों देश के प्राय: सभी टीवी चैनलों पर अभूतपूर्व बाढ़ के कारण बिहार की दयनीय स्थिति दिखाई जा रही है, जिसे देखकर कोई भी व्यक्ति सिहर जाता है। जानकारों का कहना है कि बिहार में ऐसी बाढ़ पिछले पचास वर्षों में नहीं आई थी। बिहार के 14 जिले खासकर, अरहरिया, सुपौल, किशनजंग, कटिहार, पूर्णिया, पूर्वी तथा पश्चिमी चंपारण, दरभंगा और सीतामढ़ी जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उत्तर और पूर्वी बिहार के एक करोड़ लोग इस विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित हैं। बाढ़ से अब तक 100 लोगों की जान जा चुकी है। यह सच है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आग्रह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों के बचाव के लिए विशेष सुरक्षा दल बिहार को भेजा है। राहत की सामग्री भी बिहार भेजी गई है। मगर टीवी चैनलों पर रोते-बिलखते बाढ़ ग्रसित लोगों के चेहरे देखकर हृदय द्रवित हो जाता है।
आधिकारिक अनुमानों के अनुसार एक करोड़ गरीब जनता इस बाढ़ से ग्रसित हो गई है। उन्हें न तो खाने के लिए कोई पैकेट मिल रहे हैं और न पीने के लिए पानी। लोग घरों से निकलकर उंची सड़कों पर बस गए हैं और आकाश की ओर देखते हुए हेलीकॉप्टरों का इंतजार करते हैं जो या तो उन्हें बाढ़ ग्रसित क्षेत्र से बाहर निकाले या पर्याप्त भोजन सामग्री व पानी दे। पीने के पानी के अभाव में लोग तरह-तरह की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। भोजन सामग्री के जो पैकेट हेलीकॉप्टरों से गिराए जा रहे हैं वे बाढ़ ग्रसित लोगों के पास नहीं पहुंचकर पानी में बह जाते हैं

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