'सामाजिक समरसता' एक ऐसा विषय है जिसकी चर्चा करना एवं इसे ठीक
प्रकार से कार्यान्वित करना आज समाज एवं
राष्ट्र की मूलभूत आवश्यकता है। इसके लिए हमें
सर्वप्रथम 'सामाजिक समरसता' के अर्थ का व्यापक अध्ययन करना आवश्यक है। संक्षेप में इसका अर्थ है सामाजिक समानता। यदि
व्यापक अर्थ देखें तो इसका अर्थ है - जातिगत
भेदभाव एवं अस्पृश्यता का जड़मूल से उन्मूल कर लोगों में परस्पर
प्रेम एवं सौहार्द बढ़ाना तथा समाज के सभी वर्गों एवं वर्णों के मध्य एकता स्थापित करना। समरस्ता का अर्थ है
सभी को अपने समान समझना। सृष्टि में सभी
मनुष्य एक ही ईश्वर की संतान है और उनमें एक ही चैतन्य विद्यमान
है इस बात को हृदय से स्वीकार करना।
यदि देखा जाये तो पुरातन भारतीय संस्कृति में
कभी भी किसी के साथ किसी भी तरह के
भेदभाव स्वीकार नहीं किया गया है। हमारे वेदों में भी जाति या वर्ण के आधार पर किसी भेदभाव का उल्लेख नहीं
है। गुलामी के सैंकड़ों वर्षों में
आक्रमणकारियों द्वारा हमारे धार्मिक ग्रन्थों में कुछ मिथ्या बातें जोड़ दी गई जिससे उनमें कई विकृतियां आ गई
जिसके कारण आज भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई
है। वेदों में जाति के आधार पर नहीं बल्कि कर्म के आधार पर वर्ण
व्यवस्था बतायी गयी है। जैसे कि ब्राह्मण का पुत्र वही कर्म करने से ब्राह्मण हुआ एवं शूद्र का पुत्र शूद्र क्योंकि
जो व्यक्ति जैसा कार्य करता था उसी अनुसार
उसे नाम दिया गया। समय के साथ-साथ इन व्यवस्थाओं में अनेक विकृतियां
आती गई जिसके परिणामस्वरूप अनेक कुरीतियों एवं कुप्रथाओं का जन्म हुआ। इन सबके कारण जातिगत भेद-भाव, छूआछूत आदि की प्रवृति बढ़ती गई। इसी के चलते उच्चवर्ग एवं निम्नवर्ग का जन्म हुआ।
यह भेदभाव इतना बढ़ गया कि उच्च वर्ग निम्न
वर्ग के लोगों को हृेय दृष्टि से देखने लगा और वे अधिकाधिक पिछड़ते
गए। मंदिरों में प्रवेश पर रोक, शिक्षण
संस्थानों में भेदभाव, सार्वजनिक
समारोहों में उनकी अनदेखी ऐसे कई कारण हैं जिसके कारण यह लोग
उपेक्षित होते गये। उच्च वर्ग के लोग इन लोगों के घर आना जाना तो
क्या उनके हाथ का पानी पीना भी धर्म भ्रष्ट हुआ
मानने लगे। जाति-भेद का दोष ही है जिससे
समरसता का अभाव उत्पन्न होता है।
Very nice
ReplyDeleteअच्छा लगा
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteIt's Really good
ReplyDeletebullshit
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ReplyDeleteJai bheem jai savindhan jai mulnivasi
DeleteBilkul 21 may 2001 ki report dekho to kyu chup ho jate ho tum logo hajaro salo se sc st or obc ko 33 krod devi devtao me fhsakr hamare des ko sone ki chidiya se Vikas sil des bana diya jitne bhi log videso me pesa lekar bhage vo sab savrn bhage chaye dek lo
DeleteLekin ab sab Jag chuke ha ab logo ko apne adhikar chiye
DeleteJaiti dherm par en logo ne hamesa sc st obc ka sosan kiya ha
Delete21 May 2001 DNA रिपोर्ट के अनुसार ब्राह्मण विदेशी है .
ReplyDeleteब्राह्मण अंग्रेज से 3000 गुणा ज्यादा खतरनाक विदेशी है .
सबसे बड़े आतंकवादी ब्राह्मणवादी
सबसे बड़े नक्षलवादी ब्राह्मणवादी
सबसे बड़े दहशतवादी ब्राह्मणवादी
ब्राह्मण ने लोकतंत्र को खत्म करके ब्राह्मणतंत्र स्थापित कर दिया है .
ब्राह्मण को भारत से भगाओ देश बचाओ
सर्वे हिंदू सहोदरा
DeleteTumhe Brahmano se itni chid kyo hai tum shudra ho kya, aur jitna aarakshan shudro ko milta h utna hame nhii samje Brahmano ke baare m bolne se pehle sau baar soch Lena, bullshit
ReplyDeleteTumhe Brahmano se itni chid kyo hai tum shudra ho kya, aur jitna aarakshan shudro ko milta h utna hame nhii samje Brahmano ke baare m bolne se pehle sau baar soch Lena, bullshit
ReplyDeletegood
ReplyDeleteबहुत अच्छे बहुत शानदार
ReplyDeleteBeautiful...🙏
ReplyDeleteसामाजिक समरसता में सभी जातियों का महत्व रहा है।आज तो अस्पृश्यता समाचारों में ही पायी जाती है।
ReplyDeleteVery Good
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