ज्यादा पढ़े-लिखे कर्मचारियों से मुश्किल में रेलवे



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ज्यादा पढ़े-लिखे कर्मचारियों से मुश्किल में रेलवे
एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन सालों के दौरान रेलवे में ग्रुप सी और डी के पदों पर 50 हजार से ज्यादा भर्तियां हुई....
 मैन पॉवर की भारी कमी से जूझ रही रेलवे इन दिनों एक अजीबोगरीब उलझन में फंसी है। उसकी यह उलझन ट्रेनों के संचालन से जुड़े ट्रैक मैन, गैंग मैन जैसे पदों पर ऐसे कर्मचारियों का आ जाना है, जो इस काम के लिए मुफीद ही नहीं हैं। इनमें से ज्यादातर के पास बीए और एमबीए जैसी डिग्रियां हैं, जो किसी न किसी बहाने इन कामों से भाग रहे हैं। वह ज्यादातर समय छुट्टी पर रहते हैं या फिर मूल काम को छोड़कर किसी दूसरे विभाग से अटैच हो गए हैं। इसका असर यह है कि रेलवे का ट्रैक मेंटीनेंस जैसा काम प्रभावित हो रहा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन सालों के दौरान रेलवे में ग्रुप सी और डी के पदों पर 50 हजार से ज्यादा भर्तियां हुई। लेकिन, इनमें करीब 60 फीसद पदों पर इसकी जरूरत से ज्यादा पढ़े-लिखे लोग आ गए हैं। यह स्थिति तब है, जब रेलवे ने इस पद के लिए शैक्षणिक योग्यता मात्र हाईस्कूल पास की रखी थी। लेकिन बेरोजगारी के चलते अधिकतर ऐसे लोग आ गए हैं, जिनकी शैक्षणिक योग्यता बारहवीं से ज्यादा ही है।
खास बात यह है कि जब इन पदों पर भर्ती हो रही थी, तो रेलवे यूनियनों ने इसका विरोध किया था। साथ ही बोर्ड को सलाह दी थी कि इन पदों के लिए अधिकतम शैक्षणिक योग्यता भी तय की जाए। इसके लिए यूनियनों ने मंत्रालय में चपरासी के पदों पर भर्ती का हवाला भी दिया, जिसमें अधिकतम शैक्षणिक योग्यता तय की गई थी। एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो जब इन पदों के लिए आवेदन लिए जा रहे थे, तभी अलग-अलग रेलवे जोनों से बोर्ड को रिपोर्ट दी गई थी, क्योंकि बीए, बीई, एमए, एमएससी, एमबीए पास लोगों ने आवेदन किए थे। तब रेलवे बोर्ड ने नियमों का हवाला देकर ऐसे लोगों को किसी भी तरह से भर्ती से रोकने में असमर्थता जता दी थी।
ढाई लाख से ज्यादा पद खाली 
रेलवे मे मौजूदा समय में करीब ढाई लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। इनमें अकेले सुरक्षा से जुड़े 1.22 लाख पद हैं। सूत्रों की मानें तो इनमें से करीब एक लाख पदों को सालभर में भरने की तैयारी चल रही है। इनमें से 65 हजार पदों की भर्ती का जिम्मा आरआरसी को और 35 हजार पदों का जिम्मा आरआरबी को दिया गया है। हालांकि रेलवे के अंदर करीब 46 हजार कर्मचारी इस साल सेवानिवृत्त भी जाएंगे। ऐसे में खाली पदों को लेकर बड़ा गैप फिर भी बना रहेगा।

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