रंगो की होली या खुन की होली

 होली का इंतजार हार किसी को रहता  है. और मान जाता है कि यहां इस दिन हर को अपनी लड़ाई को खत्म कर होली धुम-धाम से बनाते है। एक दुसरे को रंग लगाना और तरह-तरह के पकाव बनान   और दुसरे घर जाते है, . पर आज कल माहोला बदलाता जा रहा है इस दिन लोगों लड़ाई खत्म करने के बजाएं अपनी दुश्मनी निकलते है। शाम होते- होते सभी थाने इतने केस आते है कि पुछो मत पुलिस  वालों का तो जिन मुस्किल हो जाता है।
पर  इससे बुरा हल तो अस्पताल का होता है , होली के दिन जो भी  मरीज वहां आता है, वहां इतना नशों में होता है कि डाक्टरें को इलाज करना मुस्किल हो जाता  है, और एक सबसे ज्याद तो मुस्किल लड़कियों को होती है, क्योंकि नशें में लड़के  सुबह से रात तर घुमाते रहते है, लड़कियों का घर से निकलना मुस्किला हो जाता है,और बहुत से मामले लड़कियो से छेड़ -छाड़ के आते है। तो लड़कियो चुपी तोड़ो और गलत हरकात को बरदश न करें  न गलत होने दे. इस होली आप ने खेली होली पर न जानें कितने घर होली मातम में बदला गई, तो अगर आप भी इस तरह कि होली खेलते है तो आप के साथ भी इस तरह कि घटना हो सकती है.अपना नहीं तो अपने परिवार का सोचे,,/////

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